पत्रकारिता का अध्यापन करते हुए मैं हमेशा मानता रहा हूँ कि ज्ञान तभी गहरा होता है जब उसे साझा किया जाए, परखा जाए और अनुभव किया जाए। मेरा ब्लॉग और यूट्यूब चैनल Five Colors of Travel इसी विचारधारा का विस्तार है, बानगी है, परिपाटी है। मेरे लिए यह केवल एक रचनात्मक मंच नहीं बल्कि एक ऐसा क्लास रूम बन गया है जिसके न तो चार दीवारें हैं और न कोई निश्चित सिलेबस। हर यात्रा, हर कहानी और हर दृश्य अपने आप में एक नई सीख बनकर सामने आया। पत्रकारिता हमें तथ्यों की सटीकता, सूचनाओं का माध्यम, खबरों की निष्पक्षता और संदर्भ सिखाती है। लेकिन ट्रैवल ब्लॉगिंग ने मुझे यह सिखाया कि भावनाओं और तथ्यों का संतुलन ही कहानी को जीवंत बनाता है। जब जानकारी इतिहास और अनुभव के साथ जुड़ती है तो पाठक और दर्शक उससे गहरे स्तर पर जुड़ते हैं। और ऐसे में मेरे एतिहासिक धरोहरों के प्रति प्रेम ने मेरा सफ़र और आसान कर दिया।

विश्वसनीयता को पाया सबसे ज़रूरी..
किसी भी धरोहर, स्मारक, परंपरा, जीवन शैली या उत्सव को लिखते और फिल्माते समय मैंने महसूस किया कि विश्वसनीयता सबसे बड़ा मूल्य है, ज़रूरत है और यह तभी आ सकती है जब आप फील्ड में उतरें। क्योंकि आपके पाठक और दर्शक दोनों ही आपसे तथ्यात्मक और सही जानकारी की अपेक्षा रखते हैं। इसने मुझे और अधिक शोधपरक और अनुशासित बनाया, जो मेरे अकादमिक कार्य को भी समृद्ध करता है। और आप फील्ड से इतना सीखकर जब क्लास रूम में अपने विद्यार्थियों के बीच जाते हैं तो उनकी तमाम जिज्ञासाओं को शांत कर सुकून का आनंद ले सकते हैं। जोकि मैंने खूब लिया।
दृश्य कहानियां कहते हैं..
फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रैवल यूट्यूब चैनल की डॉक्यूमेंट्रीज ने मुझे यह सिखाया कि दृश्य (visuals) कई बार शब्दों से ज़्यादा प्रभावी कहानी कहते हैं। छोटे-छोटे इंस्टा रील्स से लेकर लंबी ट्रैवल डॉक्यूमेंट्री तक, हर माध्यम ने मुझे यह अभ्यास कराया कि केवल बताना ही नहीं, दिखाना भी पत्रकारिता का हिस्सा है। क्योंकि दृश्य शब्दों से जल्दी किसी के भी मानस पटल पर छप जाते हैं।
कई बार क्लास में प्रतिक्रिया सीमित मिलती है, लेकिन ब्लॉग और यूट्यूब चैनल ने तुरंत संवाद की सुविधा दी। देश विदेश से जुड़े दर्शकों के कमेंट्स, शेयर और चर्चाओं ने यह सिखाया कि पत्रकारिता केवल बोलने की नहीं, सुनने की भी कला है। और इस तरह मैंने फाइव कलर्स ऑफ़ ट्रैवल के कारण समझा कि यात्राओं से भी जीवन में धैर्य और ठहराव आता है।


शिक्षक भी हमेशा एक विद्यार्थी ही रहता है
सबसे महत्वपूर्ण बात, इस सफ़र ने मुझे याद दिलाया कि शिक्षक भी हमेशा एक विद्यार्थी ही रहता है। हर यात्रा ने मुझे नए व्यंजनों, परंपराओं, लाइफस्टाइल, बोलियों और इतिहास के उस पक्ष से से रूबरू कराया जिन्हें अक्सर किताबें छू भी नहीं पातीं। इसने मेरी दृष्टि को और व्यापक बनाया। मेरे देखने के नज़रिए को नए आयाम दिए।
इस पूरे अनुभव ने मुझे यह सिखाया कि पत्रकारिता न्यूज़रूम या क्लासरूम तक सीमित नहीं है। जहाँ-जहाँ कहानियाँ मौजूद हैं, वहीं पत्रकारिता साँस लेती है। Five Colors of Travel मेरे लिए अकादमिक ज्ञान और वास्तविक दुनिया के अनुभव के बीच सेतु की तरह है। एक ऐसा अनुभव जिसने मुझे यह अहसास दिलाया कि सीखना तभी सबसे सार्थक होता है जब उसे बिंदास जिया जाए, साझा किया जाए और निरंतर उसे विकसित किया जाए।

मुझे लगता है जहाँ किताबें ख़त्म होती हैं, वहाँ यात्रा शुरू होती है, और इसे यूँ भी कह सकते हैं जैसे ही यात्राओं का शुभारंभ होता है अनुभवों के शब्दों से किताबों के नए अध्याय जुड़ने लगते हैं। बाक़ी सब बढ़िया है!