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मानसून में सोलर पावर पर कितना भरोसा किया जा सकता है?

हर साल बारिश की नई फुहार के साथ  एक पुराना सवाल फिर से हमारे दिमाग में घूमने लगता है- अब तो सूरज ही नहीं दिख रहा, सोलर पैनल क्या करेगा?” और सोलर पावर काम कैसे करेगी?

ये सवाल लाजमी है, क्योंकि इस मौसम में लाइट जाना बेहद आम हो जाता है। और ऐसे में, जब बिजली की सबसे बड़ी उम्मीद ही सूरज की रोशनी हो, और वो बादलों के पीछे छुप जाए- तो चिंता तो होगी ही।

चलिए आज हम इस सवाल का सीधा और सरल जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं।

How Reliable is Solar Power During the Monsoon Season?

सबसे पहले एक जरूरी बात-  सोलर पैनल सिर्फ तेज़ धूप से ही नहीं, बादलों से छनकर आने वाली रोशनी से भी बिजली बनाते हैं।
हाँ, उतनी नहीं जितनी एक तेज़ चमकती दोपहर में बनती है, लेकिन काम रुकता नहीं।

मान लीजिए कि एक सोलर सिस्टम 100% धूप में 5 यूनिट बिजली बना रहा था, तो मानसून में वो 2.5 से 3 यूनिट भी दे सकता है। यानी बिजली पूरी तरह से गायब नहीं होती, बस थोड़ी कम हो जाती है।

अब बात आती है भरोसे की और भरोसे की नींव होती है तैयारी।

 सोलर पावर

आजकल के सोलर सिस्टम इतने समझदार हो गए हैं कि वो साफ़ दिनों में ज्यादा बिजली जमा कर लेते हैं, ताकि बारिश वाले दिनों में भी आपका पंखा और बल्ब चलता रहे।

  •  बैटरियाँ, बिजली को स्टोर करके रखती हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं जैसे घर की रसोई में कुछ “रख-रखाव” का सामान।
  • हाइब्रिड सिस्टम होते हैं जो सोलर को ग्रिड या जेनरेटर से जोड़ देते हैं ताकि अगर सूरज साथ न दे, तो बाकी इंतज़ाम तैयार रहें।

गांवों में, खासकर पहाड़ी और दूरदराज़ इलाकों में, बरसात के समय बिजली सबसे ज़्यादा गायब होती है। वहां ये सोलर सिस्टम जैसे किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं।

  • उत्तराखंड के कई गांवों में सोलर बैकअप की वजह से बच्चे अब रात को पढ़ पा रहे हैं।
  • झारखंड और असम जैसे राज्यों में सोलर मिनी ग्रिड्स ने बाढ़ के समय गांवों को रोशन रखा।

अगर आप मानसून की वजह से सोलर से दूरी बनाए हुए हैं, तो एक बार फिर सोचिए:

  • सोलर को अकेले मत देखिए, इसे एक टीम समझिए, जिसमें बैटरियाँ, बैकअप और समझदारी शामिल है।
  • सही सिस्टम लगवाइए, थोड़ी प्लानिंग कीजिए और साल भर की चिंता से छुटकारा पाइए।
  •  मानसून से पहले अपने पैनल की सफाई और सर्विस करवा लें।
  •  बैटरी बैकअप ज़रूर लें, ये आपके सिस्टम को भरोसेमंद बनाता है।
  • हाइब्रिड सिस्टम का विकल्प चुनें, खासकर अगर आप ज्यादा बिजली कटौती वाले इलाके में रहते हैं।

हम सब यही चाहते हैं कि बिजली बनी रहे, घर चलता रहे, और खर्च भी कम हो।
सोलर हमें ये सब दे सकता है, अगर हम उसे सिर्फ धूप से नहीं, पूरे सिस्टम से जोड़कर देखें।

तो अगली बार जब बारिश हो और बादल छाएं, तो बस इतना याद रखिए
सूरज भले आँखों से ओझल हो लेकिन उसका असर अब भी आपके घर को रोशन कर सकता है

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