ऋषिकेश भारत का एक ऐसा शहर है जहां के कण-कण में अध्यात्म बसता है। ऋषिकेश की पावन धरती पर आते हीं आपको ऐसा एहसास होगा की इससे ज्यादा सुकून तो कहीं और हो ही नहीं सकता है। पहाड़ियों की गोद में बसा हुआ यह शहर, अपने शांत और खूबसूरत माहौल के लिए जाना जाता है। यहां आपको हर ओर सिर्फ पॉजिटिविटी हीं नजर आएगी और यहाँ आने के बाद आपका स्ट्रेस तुरंत छूमंतर हो जाएगा।
आज के इस ब्लॉग में हम आपको इसी शहर के बारे में बताने वाले हैं। तो आईए जानते हैं इस शहर के बारे में:-
भारत के योगा कैपिटल के नाम से मशहूर इस शहर में घूमने लायक बहुत सी ऐसी जगहें हैं जहां जाने के बाद आपको वापस लौटने का बिल्कुल मन भी नहीं होगा। ऐसे हीं कुछ दूर प्लेसेस के नाम नीचे दिए गए हैं।
1. शिव प्रतिमा (Statue of Shiva)
2. नीलकंठ महादेव मन्दिर (Neelkanth Mahadev temple)
3. नीलगढ़ वाटरफॉल्स (Neelgarh waterfalls)
4. बीटल्स आश्रम (Beatles Ashram)
5. त्रंबकेश्वर मंदिर (Triyambkeshwara temple)
6. भरत मंदिर (Bharat mandir)
7. त्रिवेणी घाट की आरती (Ganga aarti of Triveni ghaat)
8. ऋषिकुंड (Rishi kund)
9. लक्ष्मण झूला (laxman jhoola)
शिव प्रतिमा (Statue of Shiva)
ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में भगवान शिव की बहुत बड़ी प्रतिमा है। जहाँ भगवान शिव ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए हैं और इस मूर्ति की खास बात यह है कि यह मूर्ति गंगा नदी में बनी हुई है। जिसके कारण यह और भी अनोखी प्रतीत होती है। बहती गंगा के धारा के बीच में स्थित विशालकाय शिव की प्रतिमा को देखकर आने वाले पर्यटकों का भी मन योगा की और आकर्षित हो जाता है। परमार्थ निकेतन आश्रम से जब आप इस मूर्ति को देखेंगे तो आपको बहुत हीं अलौकिक और अद्भुत एहसास होगा। परमार्थ निकेतन का यह भाग बहुत ही खूबसूरत और मनमोहक है। जब आप परमार्थ निकेतन में प्रवेश करेंगे तो आपका मन खुद-ब-खुद शांत हो जाएगा और आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। आश्रम जितना शान्त है उतना ही ज्यादा खूबसूरत भी है। इसीलिए दूर दूर से पर्यटक इस स्थान पर घूमने के लिए आते हैं।
नीलकंठ महादेव मन्दिर (Neelkanth Mahadev temple)
ऋषिकेश के नजदीक स्थित चित्रकूट पर्वत पर बना यह मंदिर हजारों साल पुराना है। पुरानी कथाओं के अनुसार ऋषिकेश के इसी स्थान पर महादेव ने समुंद्र मंथन से निकले हलाहल को पिया था और उनका शरीर नीला हो गया था। यही कारण है कि इस मंदिर को नीलकंठ महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी सबसे खास बात यह है कि यह मन्दिर तीन पर्वतों से घिरा हुआ है। जिनका नाम है- मनिकुट, विष्णुकुट और ब्रह्मकुट। इस मंदिर का आर्किटेक्चर बहुत हीं कलरफुल है। जब आप इस मंदिर में एंटर करेंगे तो आपको सबसे पहले समुंद्र मंथन का दृश्य दिखेगा। जिसमें नागराज वासुकी को रस्सी बनाकर देवता और दानव समुंद्र का मंथन कर रहे होते हैं। ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर कि दूरी लगभग 32 किलोमीटर है। अगर आप नीलकंठ महादेव मंदिर जाना चाहते हैं तो कोशिश करें कि आप 6:00 बजे तक इस मंदिर में पहुंच जाएं। ताकि आप यहां सुबह की आरती में हिस्सा ले सके।
नीलगढ़ वाटरफॉल (Neelgarh waterfall)
तीन वॉटर फॉल्स को मिलाकर बना हुआ यह वाटरफॉल ऋषिकेश के सीक्रेट वाटरफॉल के नाम से भी जाना जाता है। यह वाटरफॉल इतना खूबसूरत है कि इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। जंगलों से घिरे हुए इस वाटरफॉल की खास बात यह है कि यहां का पानी इतना क्लीयर है कि आप वाटरफॉल के नीचे की जमीन को भी साफ साफ देख सकते हैं। अगर आप ऋषिकेश घूमने आ रहे हैं तो इस वाटरफॉल को विजिट करना बिल्कुल ना भूलें।
यहाँ पहुँचने के लिए 1-1.5 किलोमीटर की ट्रैकिंग भी करनी पड़ती है। लेकिन आपका यह सफर बहुत हीं खूबसूरत होने वाला है। साथ ही रास्ते में आपको दो ब्रिज क्रॉस करने होंगे। झांसी दिखने वाला नजारा इतना खूबसूरत होता है कि आप एक पल को सब कुछ भूल कर खुशी पल में हो जाएंगे। इस वॉटर फॉल तक पहुंचने के लिए आपको ऋषिकेश बस स्टैंड से 8.5 किलोमीटर का सफ़र करना पड़ेगा। आप इसके लिए कोई प्राइवेट टैक्सी में बुक कर सकते हैं। अगर आप यहाँ के वॉटर फॉल में जाना चाहते हैं तो यहां जाने का सबसे बेहतरीन समय मॉनसून की ठीक बाद सितंबर या अक्टूबर का होता है। क्योंकि इस समय वाटरफॉल में पानी ज्यादा होता है और आसपास का माहौल भी बहुत हीं खूबसूरत होता है। वहाँ जाने के लिए आप अपने साथ कुछ स्नैक्स, पानी की बॉटल और अपने साथ एक कपड़ा ले जा सकते हैं। ताकि आप इस विज़िट को बहुत अच्छे से एंजॉय कर सके।
बीटल्स आश्रम (Beatles Aashram)
बीटल्स आश्रम को चौरासी कुटिया के नाम से भी जाना जाता है। यह आश्रम महा ऋषि महेश योगी के विद्यार्थियों के लिए ट्रेनिंग सेंटर था। इस आश्रम को पहचान तब मिली जब रॉकबैंड द बीटल्स यहां पर मेडिटेशन करने के लिए आए थे। बैंड के लोगों का कहना था कि जो समय उन्होंने यहाँ बिताया वह उनकी लाइफ का सबसे बेस्ट टाइम था और यही पर उन्होंने अपने बहुत से फेमस गाने लिखे। बीटल्स आश्रम 1990 में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के हवाले कर दिया गया था। 2015 में इस आश्रम को पर्यटकों के लिए खोला गया। बिट्स आश्रम में जाने की टाइमिंग सुबह के 10:00 बजे से शाम के 4:00 बजे तक की है। यहां जाने के लिए पर्यटकों को किसी भी प्रकार का टिकट नहीं लेना पड़ता है। यह बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट है।
त्रंबकेश्वर मंदिर ऋषिकेश (Triyambkeshwara Temple Rishikesh)
त्रंबकेश्वर मंदिर को तेरह मंजिला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के हर एक फ्लोर पर अलग-अलग देवी देवताओं की पूजा की जाती हैं। यह मंदिर लक्ष्मण झूला के बहुत नजदीक है। जहां से आप लक्ष्मण झूला का व्यू देख सकते हैं। साथ हीं इस मंदिर से दिखने वाला गंगा जी का दृश्य बहुत खूबसूरत होता है। यहाँ का वातावरण बहुत शांत है और दिल को सुकून देने वाला है। कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस मंदिर को शंकराचार्य द्वारा 8 शताब्दी के आसपास बनवाया था। इस मंदिर के सबसे ऊपर के फ्लोर पर भगवान महादेव की शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर से दिखने वाले नजारे बहुत ही खूबसूरत होते हैं। अगर आप ऋषिकेश जा रहे हैं तो इस मंदिर को जरूर विजिट करें।
भरत मंदिर (Bharat temple)
यह मंदिर ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर और ऋषिकेश बस स्टैंड से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में 250 साल पुराना एक बरगद, पीपल और बेलपत्र का पेड़ है जो कि हिंदू धर्म विष्णु और महादेव के होने का प्रमाण है। इसी वजह से यह मंदिर ऋषिकेश आने वाले पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर में एक म्यूज़ियम भी है। इस मंदिर के खुलने की टाइमिंग 5:00 बजे से दोपहर के 12:00 बजे तक और शाम के 4:00 बजे से रात के 9:00 बजे तक की है।
इस मंदिर में जाने के लिए आपको किसी भी प्रकार का फीस नहीं देना होगा। वसंत पंचमी महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में आना शुभ माना जाता है। इसलिए वसंत पंचमी और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां दूसरा लो भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं।
त्रिवेणी घाट की आरती (Ganga Aarti Triveni Ghaat)
गंगा के किनारे बसे किसी भी शहर को पूरी तरह से तब तक नहीं घुमा जा सकता है, जब तक कि आप उस शहर में होने वाली गंगा आरती का हिस्सा ना बन जाएं। ऋषिकेश जैसे शहरो में आकर अगर आपने गंगा आरती नहीं देखा तो आपने क्या ही ऋषिकेश देखा। गंगा आरती की यह परंपरा सदियों से चली आ रही तथा है। गंगा के घाट पर प्रत्येक दिन गंगा आरती की जाती है। चुकि त्रिवेणी घाट बहुत प्रसिद्ध घाट है इसलिए आपको यहां हर दिन भीड़ देखने को मिल जाएगा। अगर आप त्रिवेणी घाट पर गंगा आरती देखना चाहते हैं तो आपको एक डेढ़ घंटा पहले आकर गंगा आरती का इंतजार करना होगा। क्योंकि यहां होने वाले गंगा आरती को देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। जब गंगा आरती होती है तो यहां का माहौल इतना पॉजिटिव हो जाता है कि आपके मन से हर तरह के निगेटिव थॉट्स खत्म हो जाएंगे। मंत्रोच्चारण की ध्वनि, शंखनाद और घंटी की आवाज आपके कानों में इस तरह घुलने लगेंगी कि आप कुछ देर के लिए अपने सारे प्रॉब्लम्स को भूलकर गंगा मां की आस्था में समर्पित हो जाएंगे।
ऋषि कुंड (Rishi kunda)
ऋषि कुंड त्रिवेणी घाट के नजदीक स्थित रघुनाथ मंदिर का कुंड है, जो पहले हवन कुंड था। माना जाता है कि यहां कुब्ज ऋषि ने तपस्या किया था और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर यमुना जी इस कुंड में आई थी। बताया जाता है कि यह वहीं स्थान है जहां रावण के बद्ध के बाद श्री राम जी ने ब्रम्ह हत्या के पाप को मिटाने के लिए तपस्या किया था।
ऋषि कुंड में जाने की कोई फीस नहीं है। यहां चौबीसों घंटे जा सकते हैं। लेकिन हमारी ओर से सुझाव रहेगा कि आप यहां सुबह के समय में विजिट करने के लिए जाएं।
लक्ष्मण झूला (Laxman jhoola)
लक्ष्मण झूला ऋषिकेश का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है और इसे अंग्रेजों द्वारा अपने सुविधा के लिए बनवाया गया था। लेकिन आज के समय में यह एक पर्यटन स्थल की तरह है। लक्ष्मण झूला ब्रिज लगभग 90 साल पुराना है और लगभग 450 मीटर लंबा है। आप ऋषिकेश बस स्टॉप से लक्ष्मण झूला बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं। इसके लिए आपको बस, टैक्सी और ईरिक्शा जैसी हर तरह की सुविधा मिल जाएगी।
लक्ष्मण झूला घूमने के लिए किसी तरह की फीस नहीं ली जाती है। अगर आप लक्ष्मण झूला घूमना चाहते हैं तो यहां आने की सबसे बेस्ट टाइमिंग सुबह की 5:00 बजे की है या फिर रात के 10:00 बजे की है।