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ईद के मौके पर जानिए भारत के सबसे बड़े और प्रसिद्ध दरगाहों के बारे में

जामा मस्जिद दिल्ली :

अब भारत के सबसे प्रसिद्ध दरगाह की बात हो और भारत के सबसे प्रसिद्ध शहर का नाम ना आए तो यह तो नाइंसाफी होगी। जी हाँ भारत का सबसे प्रसिद्ध दरगाह भारत के सबसे प्रसिद्ध शहर दिल्ली में हीं स्थित है, जिसे हम जमा मस्जिद के नाम से जानते हैं।
जामा मस्जिद भारत का एक ऐसा मस्जिद है जिसे शायद ही कोई न जानता हो। लाल किला के सामने बना हुआ यह मस्जिद देश का सबसे प्रसिद्ध मस्जिद है। जामा मस्जिद अपनी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, धार्मिक और वास्तुकला के कारण खास है। यह दिल्ली की सबसे बड़ी मस्जिद है और मुग़ल वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है। इसे मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने 17वीं सदी में 1656 ईसवी में बनवाया था। इसकी बड़ी शानदार मीनारें, व्यापक सजावट, और विशाल आंगन उसे विशेष बनाती हैं।

जामा मस्जिद में ईद के दिन लाखों लोग एक साथ ईद की नमाज अदा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह एक बड़ी समाजिक और धार्मिक आयोजन होता है जो मस्जिद के आसपासी क्षेत्र में भी लोगों को एक साथ आने का अवसर देता है।

हजरत निजामुद्दीन का दरगाह :

हजरत निजामुद्दीन दरगाह एक महत्वपूर्ण सुफी संत के समाधि स्थल के रूप में माना जाता है। यह दिल्ली में स्थित है और सूफी संत हजरत निजामुद्दीन के नाम पर नामित है, जिन्होंने 14वीं सदी में यहां बहुत से सामाजिक कार्य किए थे।

हजरत निजामुद्दीन के दरगाह की सबसे खास बात यह है कि यहां के माहौल में एक अपनेपन का भाव है। यहां के चारों ओर की रौनक, शांति, और भक्ति वातावरण आगंतुकों को आकर्षित करता है। अगर बात करें हजरत निजामुद्दीन औलिया के बारे में तो वह भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण सुफी संतों में से एक थे। उनका असली नाम शहबुद्दीन मोहम्मद था, और वे दिल्ली में 13वीं और 14वीं सदी के बीच रहा करते थे। उन्होंने विशेष रूप से सुफी पंथ को फैलाने और धर्मिक समरसता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके दरगाह पर आज भी लाखों श्रद्धालु आते हैं और उन्हें अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

अजमेर शरीफ दरगाह

जब हम भारतीय संस्कृति की बात करते हैं तो भारत एक ऐसा देश है जहां, हर तरह के रहन-सहन खानपान और बोलचाल वाले लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं। भारतीय संस्कृति की इसी विशालता का एक बेहतरीन उदाहरण है अजमेर शरीफ दरगाह! अजमेर शरीफ दरगाह जिसे ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह शरीफ के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के अजमेर में स्थित एक ऐसा दरगाह है, जो संतों सद्गुरुओं और अराधकों की भक्ति और श्रद्धा का केंद्र है। अजमेर शरीफ का दरगाह एक ऐतिहासिक स्थल है। जो सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती से जुड़ा हुआ है। अजमेर शरीफ दरगाह को मुस्लिम धर्म का पवित्रतम स्थान माना जाता है। आने वाले लोग अपनी इच्छाएं मनोकामनाएं और संकल्प ख्वाजा साहब के समक्ष रखते हैं और उनकी दुआओं के पूरी होने की कामना करते हैं। अजमेर शरीफ के दरगाह में माथा टेकने के लिए भारत अन्य राज्यों के पर्यटकों के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पर्यटक घूमने आते हैं।

सलीम चिश्ती की दरगाह

इस शहर में सलीम चिश्ती की दरगाह भी है। यहां सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने से लोग मन्नत मांगने आते हैं। जामा मस्जिद सफेद संगमरमर से बना हुआ है जहां आकर आपको अलग शांति महसूस होगी। फतेहपुर सीकरी में सलीम चिश्ती का दरगाह का इतिहास गौरतलब है। इसे मुग़ल बादशाह अकबर के पुत्र, सलीम चिश्ती, जिन्होंने बाद में जहाँगीर नाम से अभिज्ञान किया, के समय में बनवाया गया था। यह दरगाह उनकी मासूम बेटी के मृत बचपन की यादों को समर्पित किया गया था। इसे अकबर ने अपने बेटी के नाम पर “मारियम-उल-वश्त” का नाम दिया था। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और लोग यहाँ आकर मन्नतें माँगते हैं।

हाजी अली दरगाह, मुंबई

हाजी अली दरगाह मुंबई के महिम परिसर में स्थित है और मुस्लिम समुदाय के लोग यहाँ नमाज अदा करने आते हैं। हाजी अली दरगाह की निर्माण तारीखों के मामले में कुछ अनिश्चितताएं हैं, लेकिन इसे इस्लामिक धर्मावलम्बियों के प्रमुख स्थलों में से एक के रूप में जाना जाता है। इस मस्जिद से बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन जैसे कई फ़िल्मी सितारों का संबंध रहा है।
हाजी अली दरगाह के पास मस्जिद और एक बड़ी मस्जिद है। यहाँ एक मुख्य महल भी है जिसमें विशाल अधिवेशन हॉल, श्रद्धालुओं के लिए आरामदायक बैठकरी, और प्रसाद की दुकानें शामिल हैं। दरगाह के चारों ओर रखी गई छतें और जालियां उसे भव्य बनाती हैं। यहाँ पर आने वाले लोगों के लिए धार्मिक और सामाजिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
हाजी अली दरगाह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और यहाँ हर वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ आती है। खासतौर पर जुम्मा के दिन और ईद के मौके पर यहाँ बहुत अधिक भीड़ उपस्थित रहती है। खास करके मुंबई में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए यह सबसे प्रसिद्ध इबादतगाह है।

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